Tuesday, February 24, 2009

मेरी बैकुंठ यात्रा

This Post is dedicated to all those who are married .........:)))))))))))))

एक रविवार मैं बैकुंठ लोक (भगवान विष्णु का धाम ) चला गया । बैकुंठ लोक के विषय में हमने सुना था कि वहाँ विष्णु भगवान शेष शैया पर लेटे रहतें हैं और देवी लक्ष्मी उनके चरण दबाती है , पर हमें तो वहाँ दृश्य उल्टा नजर आया। हमने देखा कि देवी लक्ष्मी, शेष शैया पर लेटी हुई है और भगवान विष्णु उनके चरण दबा रहें हैं, और विष्णु भगवान को बीच बीच में झपकी भी आ रही थी, क्योंकि पहले तो कभी किसी के चरण दबाने की आदत थी नही । वह दृश्य देखकर तो हमें परम आनंद की प्राप्ति हुई । मैनें कहा कि भगवन यह क्या हो रहा है? सब ठीक तो है ?
भगवन बोले - " मत पूछो , पहले सब ठीक चल रहा था , हमारी madam हमारे पैर दबाती थी पर एक दिन हमारा दूत पृथ्वी लोक के समाचार लेकर आया और बताने लगा कि वहाँ तो Soniaji का राज चल रहा है । यह सुनकर हमारी madam बिगड़ पड़ी , कहने लगी कि वहाँ तो Soniaji का राज चल रहा है और यहाँ आप का राज, अब या तो वहाँ कि व्यवस्था बदल तो या आप ख़ुद बदल जाओ ।
मैनें कहा -"भगवन आप पृथ्वी लोक की व्यवस्था क्यों नही बदल देते ?"
भगवन बोले - "पृथ्वी लोक में जो कुछ हो रहा है वह तो नियति का चक्र है उसे तो मैं नही बदल सकता , इसलिए अपने आप को change कर लिया ।
मैंने उनके चरण पकड़ लिए और कहा -" आज मैंने समझ लिया है कि दुनिया आपको क्यों नारायण कहती है ?"
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This is the beauty of Indian culture. Sometimes we change ourself for our betterhalf.
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